भारतीय गोवंश में है विश्व का सर्वोत्तम दूध..

दुनियाभर में #दूध की शुद्धता की मिसाल बनी #भारतीय #दुधारू संपदा पर ग्रहण लग चुका है।

मवेशियों की दर्जनों प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। सिंथेटिक #दूध का प्रचलन, हरे चारों की कमी एवं पशु कटान की वजह से पोषण की #गंगा का स्रोत सूखने लगा है।
दूध बढ़ाने के नाम पर #भारतीय नस्लों के साथ #विदेशी नस्लों की घोलमेल ने #अमृत को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। #न्यूजीलैंड में प्रोफेसर #डा. वुडफोर्ड ने शोध पत्र में साफ किया है कि #भारत की सभी #गायों में बीटा कैसिन-दो पाया जाता है, जिसमें #स्वास्थ्य एवं बुद्धिवर्धक समस्त गुणधर्म हैं। दर्जनों रोगों को समूल नष्ट करने की प्रवृत्ति का #वैज्ञानिक आधार पर सत्यापन किया जा चुका है।
वैदिक मान्यता के मुताबिक, #भारतीय #गोवंश समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ, इसी वजह से जंगली प्रवृत्ति से दूर रहा। #दूध की गुणवत्ता के वैज्ञानिक आंकलन में भी #भारतीय #गोवंश की प्रामाणिकता सिद्ध हुई है।
न्यूजीलैंड के डा. कीथ वुडफोर्ड ने #एशिया एवं #यूरोपीय नस्लों पर शोध कर निष्कर्ष निकाला कि प्राचीन काल में #यूरोपीय नस्ल की गायों में म्यूटेशन होने की वजह से #दूध में बीटा कैसिन ए-दो खत्म हो गया और इसकी जगह बीटा कैसिन-एक नामक विषाक्त प्रोटीन बनने लगा, जबकि #भारतीय नस्लों में म्यूटेशन न होने से #दूध की गुणवत्ता बनी रही। #उत्तर प्रदेश मेरठ में 1200 डेयरियों में से उत्पादित करीब 20 लाख लीटर दूध में से 60 फीसदी का उत्पादन #गायों से होता है। कई केन्द्रों में गाय के दूध से जुड़े उत्पादों को भी बनाया जा रहा है।
विदेशी नस्ल के #दूध में अफीम !!
अमेरिका में हुए शोध के मुताबिक #विदेशी नस्ल की #गायों में बीटा कैसिन ए-एक नामक दुग्ध प्रोटीन पाया जाता है, जिसे #अफीम जैसा #जहरीला बताया गया। इस #दूध का प्रोटीन पाचन के मध्य एक उत्पाद बनाता है जो #पाचन से पहले ही रक्तप्रवाह में मिल जाता है, #जिससे हृदय रोग, शुगर, कैंसर, सिट्जनोफ्रेनिया, एवं अन्य कई जानलेवा #बीमारियां बनती हैं। द डेविल इन मिल्क नामक किताब में साफ किया गया है कि ए-दो प्रकार के #दूध का प्रयोग ही मानव #स्वास्थ्य के लिए #उत्तम है। #अमेरिका एवं #न्यूजीलैंड की #कंपनियां जेनेटेकली टेस्टेड ए-दो दूध बाजार में उपलब्ध करवा रही हैं।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक…???
भारतीय पशुओं की नस्लीय विशेषता हमेशा सम्मान का पात्र रही है। #गोवंश के मूत्र में रेडियोधर्मिता सोखने की क्षमता पायी जाती है, जो भोपाल गैस त्रासदी के दौरान भी सिद्ध हो चुकी है। #गोबर से लीपे हुए घरों पर कम असर हुआ। #अमेरिका ने भी #गोमूत्र में कैंसर विरोधी तत्व होने को लेकर पेटेंट दिया है। #गाय के #दूध से #स्वर्ण भस्म भी बनता है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने भी #गाय के दूध को सर्वोत्तम माना है। #गाय का #घी खाने से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता।
-डा. डी.के. सधाना, पशु वैज्ञानिक, एनडीआरआइ, करनाल
देशी गाय के दूध से बनी दही में ऐसा बैक्टीरिया पाया जाता है जो एड्स विरोधी गुणधर्म रखता है। जैव प्रौद्योगिकी के इस युग में #गोवंश के लिए अपार संभावनाएं हैं। #भारतीय जलवायु की विविधता से भी #दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
– डा. मनोज तोमर, वैज्ञानिक, जिला विज्ञान केन्द्र।
दूध : कुछ तथ्य…!
1. पश्चिम यूपी में #गाय-भैंसों के बीच गाय की भागीदारी 60  फीसदी तक है, जो वक्त के साथ कम होती जा रही है।
2. पशुपालन के प्रति अरुचि एवं अंधाधुंध कटान की वजह से अब देश में नस्ल कम हो गई।
3. दुनिया की #सर्वोत्तम नस्ल गिर गाय की संख्या सौराष्ट्र में दस हजार से भी कम, जबकि ब्राजील में सर्वाधिक है।
4. कई कृषि विवि में साहीवाल, गिर, थारपारकर, अंगोल एवं राठी समेत #उत्तम नस्ल की #गायों का संस्थान खोला गया, किंतु विदेशी फंड के लिए क्रास ब्रीड का राग अलापा जा रहा है।
5. विश्वभर में 250 गायों के नस्ल में से 32 नस्लें #भारतीय गोवंश की हैं।
6. केरल की वैचूर प्रजाति दुनिया की सबसे छोटी नस्ल है। सांड की ऊंचाई महज तीन फुट होती है। जिनकी संख्या कम हो चुकी है।
7. इस प्रजाति की #गाय में सर्वाधिक 7 फीसदी वसा पाया जाता है, किंतु संख्या बढ़ाने पर सरकारों ने कोई रुचि नहीं ली।

संदर्भ : हिन्दू जन जागृति समिति

अभी #सरकार को कत्लखाने पर सब्सिडी बन्द करके #भारतीय #गोवंश की नस्लों की #गौशाला के लिए #सब्सिडी देनी चाहिए जिससे फिर से #भारतीय #गोवंश में बढ़ोतरी हो और #देश में #गौ दुग्ध से हर व्यक्ति #स्वस्थ्य रहे ।

देशी गाय व भैंस के दूध के 6 बड़े अंतर |Buffalo Milk vs Cow Milk – Difference and Comparison

देशी गाय का दूध

  • १ ]  सुपाच्य होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार होते है |
  • ३] बुद्धि को कुशाग्र बनाता हैं |
  • ४] स्मरणशक्ति बढाता है एवं स्फूर्ति प्रदान करता है |
  • ५] यह सत्त्वगुण बढ़ता है |
  • ६] गाय अपना बछड़ा देखकर स्नेह व वात्सल्य से भर के दूध देती है |

भैंस का दूध

  • १] पचने में भारी होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार नहीं होते हैं |
  • ३] बुद्धि को मंद करता है |
  • ४] यह आलस्य व अत्यधिक नींद लाता हैं |
  • ५] यह तमोगुण बढ़ाता हैं |
  • ६] भैंस स्वाद व खुराक देखकर दूध देती है | भैंस का दूध पी के बड़े होनेवाले भाई सम्पदा के लिए लड़ते-मरते हैं |
देशी गाय के दूध(Gaye ke dudh) में सम्पूर्ण प्रोटीन्स रहने के कारण यह मनुष्यों के लिए अनिवार्य हैं | भैंस के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में रहनेवाले प्रोटीन्स सुगमता से पचते हैं | गाय के दूध में ऑक्सिडेज तथा रिडक्टेज एंजाइम की प्रचुरता रहती है, जो पाचन में सहायता देने के अतिरिक्त दूध पीनेवालों के शरीर में पाये जानेवाले टोक्सिंस (विषैले पदार्थ) को दूर करते हैं |
देशी गाय के दूध की और भी अनेक विशेषताएँ हैं | ऊपर दिये गये बिन्दुओं से देशी गाय के दूध की श्रेष्ठता स्पष्ट हो जाती है | देशी गाय का दूध पीकर हम आयु, बुद्धिमत्ता, सात्त्विकता, निरोगता आदि बढायें या भैंस का दूध पी के इन्हें घटायें – यह हमारे हाथ की बात है |
भैंस के दूध से भी अधिक हानिकारक हैं जर्सी आदि विदेशी संकरित गायों का दूध |

देशी गाय व भैंस के दूध के 6 बड़े अंतर |Buffalo Milk vs Cow Milk – Difference and Comparison

देशी गाय का दूध

  • १ ]  सुपाच्य होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार होते है |
  • ३] बुद्धि को कुशाग्र बनाता हैं |
  • ४] स्मरणशक्ति बढाता है एवं स्फूर्ति प्रदान करता है |
  • ५] यह सत्त्वगुण बढ़ता है |
  • ६] गाय अपना बछड़ा देखकर स्नेह व वात्सल्य से भर के दूध देती है |

भैंस का दूध

  • १] पचने में भारी होता है |
  • २] इसमें स्वर्ण-क्षार नहीं होते हैं |
  • ३] बुद्धि को मंद करता है |
  • ४] यह आलस्य व अत्यधिक नींद लाता हैं |
  • ५] यह तमोगुण बढ़ाता हैं |
  • ६] भैंस स्वाद व खुराक देखकर दूध देती है | भैंस का दूध पी के बड़े होनेवाले भाई सम्पदा के लिए लड़ते-मरते हैं |
देशी गाय के दूध(Gaye ke dudh) में सम्पूर्ण प्रोटीन्स रहने के कारण यह मनुष्यों के लिए अनिवार्य हैं | भैंस के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में रहनेवाले प्रोटीन्स सुगमता से पचते हैं | गाय के दूध में ऑक्सिडेज तथा रिडक्टेज एंजाइम की प्रचुरता रहती है, जो पाचन में सहायता देने के अतिरिक्त दूध पीनेवालों के शरीर में पाये जानेवाले टोक्सिंस (विषैले पदार्थ) को दूर करते हैं |
देशी गाय के दूध की और भी अनेक विशेषताएँ हैं | ऊपर दिये गये बिन्दुओं से देशी गाय के दूध की श्रेष्ठता स्पष्ट हो जाती है | देशी गाय का दूध पीकर हम आयु, बुद्धिमत्ता, सात्त्विकता, निरोगता आदि बढायें या भैंस का दूध पी के इन्हें घटायें – यह हमारे हाथ की बात है |
भैंस के दूध से भी अधिक हानिकारक हैं जर्सी आदि विदेशी संकरित गायों का दूध |

कही आप अंजाने मे अपने परिवार को विषैला दूध तो नही पिला रहे है?

कही आप अंजाने मे अपने परिवार को विषैला दूध तो नही पिला रहे है?

मथुरा के ‘पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधन संस्थान’ में नेशनल ब्यूरो आफ जैनेटिक रिसोर्सिज़, करनाल (नेशनल क्रांऊसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च-भारत सरकार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. देवेन्द्र सदाना द्वारा एक प्रस्तुति 4 सितम्बर को दी गई।
मथुरा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सामने दी गई प्रस्तुति में डा. सदाना ने जानकारी दी किः
अधिकांश विदेशी गोवंश (हॅालस्टीन, जर्सी, एच एफ आदि) के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया जाता है जिससे अनेक असाध्य रोग पैदा होते हैं। पांच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं –
  1. इस्चीमिया हार्ट ड़िजीज (रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरुद्ध होना)।
  2. मधुमेह-मिलाईटिस या डायबिट़िज टाईप-1 (पैंक्रिया का खराब होना जिसमें इन्सूलीन बनना बन्द हो जाता है।)
  3. आटिज़्म (मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना)।
  4. शिजोफ्रेनिया (स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग)।
  5. सडन इनफैण्ट डैथ सिंड्रोम (बच्चे किसी ज्ञात कारण के बिना अचानक मरने लगते हैं)।
टिप्पणीः विचारणीय यह है कि हानिकारक ए1 प्रोटीन के कारण यदि उपरोक्त पांच असाध्य रोग होते हैं तो और उनेक रोग भी तो होते होंगे। यदि इस दूध के कारण मनुष्य का सुरक्षा तंत्र नष्ट हो जाता है तो फिर न जाने कितने ही और रोग भी हो रहे होंगे, जिन पर अभी खोज नहीं हुई।

दूध की संरचना

आमतौर पर दूघ में,
83 से 87 प्रतिशत तक पानी
3.5 से 6 प्रतिशत तक वसा (फैट)
4.8 से 5.2 प्रतिशत तक कार्बोहाइड्रेड
3.1 से 3.9 प्रतिशत तक प्रोटीन होती है। इस प्रकार कुल ठोस पदार्थ 12 से 15 प्रतिशत तक होता है। लैक्टोज़ 4.7 से 5.1 प्रतिशत तक है। शेष तत्व अम्ल, एन्जाईम विटामिन आदि 0.6 से 0.7 प्रतिशत तक होते है।
गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन 2 प्रकार के हैं। एक ‘केसीन’ और दूसरा है ‘व्हे’ प्रोटीन। दूध में केसीन प्रोटीन 4 प्रकार का मिला हैः
अल्फा एस1 (39 से 46 प्रतिशत)
एल्फा एस2 (8 से 11 प्रतिशत)
बीटा कैसीन (25 से 35 प्रतिशत)
कापा केसीन (8 से 15 प्रतिशत)
गाय के दूध में पाए गए प्रोटीन में लगभग एक तिहाई ‘बीटा कैसीन’ नामक प्रोटीन है। अलग-अलग प्रकार की गऊओं में अनुवांशिकता (जैनेटिक कोड) के आधार पर ‘केसीन प्रोटीन’ अलग-अलग प्रकार का होता है जो दूध की संरचना को प्रभावित करता है, या यूं कहे कि उसमें गुणात्मक परिवर्तन करता है। उपभोक्ता पर उसके अलग-अलग प्रभाव हो सकते हैं।

बीटा कैसीन ए1, ए2 में अन्तर क्या है?

बीटा कैसीन के 12 प्रकार ज्ञात हैं जिनमें ए1 और ए2 प्रमुख हैं। ए2 की एमिनो एसिड़ श्रृंखला (कड़ी) में 67 वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ होता है। जबकि ए1 प्रकार में यह ‘प्रोलीन’ के स्थान पर विषाक्त ‘हिस्टिडीन’ है। ए1 में यह कड़ी कमजोर होती है तथा पाचन के समय टूट जाती है और विषाक्त प्रोटीन ‘बीटा कैसोमार्फीन 7’ बनाती है।

विदेशी गोवंस विषाक्त क्यों है?

जैसा कि शुरू में बतलाया गया है कि विदेशी गोवंश में अधिकांश गऊओं के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया गया है। हम जब इस दूध को पीते हैं और इसमें शरीर के पाचक रस मिलते हैं व इसका पाचन शुरू होता है, तब इस दूध के ए1 नामक प्रोटीन की 67वीं कमजोर कड़ी टूटकर अलग हो जाती है और इसके ‘हिस्टिाडीन’ से ‘बी.सी.एम. 7’ (बीटा कैसो माफिन 7) का निर्माण होता है। सात सड़ियों वाला यह विषाक्त प्रोटीन ‘बी.सी.एम 7’ पूर्वोक्त सारे रोगों को पैदा करता है। शरीर के सुरक्षा तंत्र को नष्ट करके अनेक असाध्य रोगों का कारण बनता है।

भारतीय गोवंस विशेष क्यों

करनाल स्थित भारत सरकार के करनाल स्थित ब्यूरो के द्वारा किए गए शोध के अनुसार भारत की 98 प्रतिशत नस्लें ए2 प्रकार के प्रोटीन वाली अर्थात् विष रहित हैं। इसके दूध की प्रोटीन की एमीनो एसिड़ चेन (बीटा कैसीन ए2) में 67वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ है और यह अपने साथ की 66वीं कड़ी के साथ मजबूती के साथ जुड़ी रहती है तथा पाचन के समय टूटती नहीं। 66वीं कड़ी में ऐमीनो ऐसिड ‘आइसोल्यूसीन’ होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भारत की 2 प्रतिशत नस्लों में ए1 नामक एलिल (विषैला प्रोटीन) विदेशी गोवंश के साथ हुए ‘म्यूटेशन के कारण’ आया हो सकता है।
एन.बी.ए.जी.आर. – करनाल द्वारा भारत की 25 नस्लों की गऊओं के 900 सैंम्पल लिए गए थे। उनमें से 97-98 प्रतिशत ए2ए2 पाए गए गथा एक भी ए1ए1 नहीं निकला। कुछ सैंम्पल ए1ए2 थे जिसका कारण विदेशी गोवंस का सम्पर्क होने की सम्भावना प्रकट की जा रही है।

गुण सूत्र

गुण सूत्र जोड़ों में होते हैं, अतः स्वदेशी-विदेशी गोवंश की डी.एन.ए. जांच करने पर
‘ए1, ए2’
‘ए1, ए2’
‘ए2, ए2’
के रूप में गुण सूत्रों की पहचान होती है। स्पष्ट है कि विदेशी गोवंश ‘ए1ए1’ गुणसूत्र वाला तथा भारतीय ‘ए2, ए2’ है।
केवल दूध के प्रोटीन के आधार पर ही भारतीय गोवंश की श्रेष्ठता बतलाना अपर्याप्त होगा। क्योंकि बकरी, भैंस, ऊँटनी आदि सभी प्राणियों का दूध विष रहित ए2 प्रकार का है। भारतीय गोवंश में इसके अतिरिक्त भी अनेक गुण पाए गए हैं। भैंस के दूध के ग्लोब्यूल अपेक्षाकृत अधिक बड़े होते हैं तथा मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव करने वाले हैं। आयुर्वेद के ग्रन्थों के अनुसार भी भैंस का दूध मस्तिष्क के लिए अच्छा नहीं, वातकारक (गठिाया जैसे रोग पैदा करने वाला), गरिष्ठ व कब्जकारक है। जबकि गो दूग्ध बुद्धि, आयु व स्वास्थ्य, सौंदर्य वर्धक बतलाया गया है।

भारतीय गोवंस अनेक गुणों वाला है

1. बुद्धिवर्धकः खोजों के अनुसार भारतीय गऊओं के दूध में ‘सैरिब्रोसाईट’ नामक तत्व पाया गया है जो मस्तिष्क के ‘सैरिब्रम को स्वस्थ-सबल बनाता है। यह स्नायु कोषों को बल देने वाला, बुद्धि वर्धक है।
2. गाय के दूध से फुर्तीः जन्म लेने पर गाय का पछड़ा जल्दी ही चलने लगता है जबकि भैंस का पाडा रेंगता है। स्पष्ट है कि गाय एवं उसके दूध में भैंस की अपेक्षा अधिक फुर्ती होती है।
3. आँखों की ज्योति, कद और बल को बढ़ाने वालाः भारतीय गौ की आँत 180 फुट लम्बी होती है। गाय के दूध में केरोटीन नामक एक ऐसा उपयोगी एवं बलशाली पदार्थ मिलता है जो भैंस के दूस से कहीं अधिक प्रभावशाली होता है। बच्चों की लम्बाई और सभी के बल को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी होता है। आँखों की ज्योति को बढ़ाने के लिए यह अत्यन्त उपयोगी है। यह कैंसर रोधक भी है।
4. असाध्य बिमारीयों की समाप्तिः गाय के दूध में स्टोनटियन नामक ऐसा पदार्थ भी होता है जो विकिर्ण (रेडियेशन) प्रतिरोधक होता है। यह असाध्य बिमारियों को शरीर पर आक्रमण करने से रोकने का कार्य भी करता है। रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है जिससे रोग का प्रभाव क्षीण हो जाता है।
5. रामबाण है गाय का दूध – ओमेगा 3 से भरपूरः वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि फैटी एसिड ओमेगा 3 (यह एक ऐसा पौष्टिकतावर्धक तत्व है, जो सभी रोगों की समाप्ति के लिए रामबाण है) केवल गो माता के दूध में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। आहार में ओमेगा 3 से डी. एच. तत्व बढ़ता है। इसी तत्व से मानव-मस्तिष्क और आँखों की ज्योति बढ़ती है। डी. एच. में दो तत्व ओमेगा 3 और ओमेगा 6 बताये जाते हैं। मस्तिष्क का संतुलन इसी तत्व से बनता है। आज विदेशी वैज्ञानिक इसके कैप्सूल बनाकर दवा के रूप में इसे बेचकर अरबो-खरबो रुपये का व्यापार कर रहे हैं।
6. विटामिन से भरपूर-माँ के दूध के समकक्षः प्रो. एन. एन. गोडकेले के अनुसार गाय के दूध में अल्बुमिनाइड, वसा, क्षार, लवण तथा कार्बोहाइड्रेड तो हैं ही साथ ही समस्त विटामिन भी उपलब्ध हैं। यह भी पाया गया कि देशी गाय के दूध में 8 प्रतिशत प्रोटीन, 0.7 प्रतिशत खनिज व विटामिन ए, बी, सी, डी व ई प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं, जो गर्भवती महिलाओं व बच्चों के लिए अत्यन्त उपयोगी होते हैं।
7. कॅालेस्ट्राल से मुक्तिः वैज्ञानिकों के अनुसार कि गाय के दूध से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता। हृदय रोगियों के लिए यह बहुत उपयोगी माना गया है। फलस्वरूप मोटापा भी नहीं बढ़ता है। गाय का दूध व्यक्ति को छरहरा (स्लिम) एवं चुस्त भी रखता है।
8. टी.बी. और कैंसर की समाप्तिः क्षय (टी.बी) रोगी को यदि गाय के दूध में शतावरी मिलाकर दी जाये तो टी.बी. रोग समाप्त हो जाता है। एसमें एच.डी.जी.आई. प्रोटीन होने से रक्त की शिराओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता। पंचगव्य आधारित 80 बिस्तर वाला कैंसर हॅास्पिटल गिरी विहार, संकुल नेशनल हाईवे नं. 8, नवसारी रोड़, वागलधारा, जि. बलसाड़, गुजरात में है। यहा तीसरी स्टेज के कैंसर के रोगियों का इलाज हो ता पर अब उनकी सफलता किन्ही कारणों से पहले जैसी नहीं रही है।
9. इन्टरनेशनल कार्डियोलॅाजी के अध्यक्ष डा. शान्तिलाल शाह ने कहा है कि भैंस के दूध में लाँगचेन फेट होता है जो नसों में जम जाता है। फलस्वरूप हार्टअटैक की सम्भावना अधिक हो जाती ही। इसलिए हृदय रोगियों के लिए गाय का दूध ही सर्वोत्तम है। भैंस के दूध के ग्लोब्यूल्ज़ भी आकार में अधिक बड़े होते हैं तथा स्नायु कोषों के लिए हानिकारक हैं।
10. बी-12 विटामिनः बी-12 भारतीय गाय की बड़ी आंतों में अत्यधिक पाया जाता है, जो व्यक्ति को निरोगी एवं दीर्घायु बनाता है। इससे बच्चों एवं बड़ों को शारीरिक विकास में बढ़ोतरी तो होती ही है साथ ही खून की कमी जैसी बिमारियां (एनीमिया) भी ठीक हो जाती है।
11. गाय के दूध में दस गुणः
चरक संहिता (सूत्र 27/217) में गाय के दूध में दस गुणों का वर्णन है-
स्वादु, शीत, मृदु, स्निग्धं बहलं श्लक्ष्णपिच्छिलम्।
गुरु मंदं प्रसन्नं च गल्यं दशगुणं पय॥
अर्थात्- गाय का दूध स्वादिष्ट, शीतल, कोमल, चिकना, गाढ़ा, श्लक्ष्ण, लसदार, भारी और बाहरी प्रभाव को विलम्ब से ग्रहरण करने वाला तथा मन को प्रसन्न करने वाला होता है।
12. केवल भारतीय देसी नस्ल की गाय का दूध ही पौष्टिकः करनाल के नेशनल ब्यूरो आफ एनिमल जैनिटिक रिसोर्सेज (एन.बी.ए.जी.आर.) संस्था ने अध्ययन कर पाया कि भारतीय गायों में प्रचुर मात्रा में ए2 एलील जीन पाया जाता हैं, जो उन्हें स्वास्थ्यवर्धक दूध उप्तन्न करने में मदद करता है। भारतीय नस्लों में इस जीन की फ्रिक्वेंसी 100 प्रतिशत तक पाई जाती है।
13. कोलेस्ट्रम (खीस) में है जीवनी शक्तिः प्रसव के बाद गाय के दूध में ऐसे तत्व होते हैं जो अत्यन्त मूल्यवान, स्वास्थ्यवर्धक हैं। इसलिए इसे सूखाकर व इसके कैप्सूल बनाकर, असाध्य रोगों की चिकित्सा के लिए इसे बेचा जा रहा है। यही कारण है कि जन्म के बाद बछड़े, बछिया को यह दूध अवश्य पिलाना चाहिए। इससे उसकी जीवनी शक्ति आजीवन बनी रहती है। इसके अलावा गौ उत्पादों में कैंसर रोधी तत्व एनडीजीआई भी पाया गया है जिस पर यूएस पेटेन्ट प्राप्त है।

दूध का दूध और पानी का पानी

चलो हम ही दूध का दूध और पानी का पानी करते है । ये तो कहावत है ऐसी अनेक कहावते दूध से जुडी हुई हम सभी बचपन से सुनते आये है ।
आखिर कौन सा दूध जहर है कौन सा अमृत । आज दूध1 प्रत्येक परिवार की जरुरत है दूध2 हमेशा रात को ही पीना चाहिए महर्षि बांगभट्ट जी के अष्टांगहृद् यम ग्रन्थ के हिसाब से दूध को पचाने वाले एंजाइम केवल रात को चन्द्रमा की शीतलता में ही पैदा होते है ।माताये अपने नन्हे मुन्हे बच्चों को सुबह सुबह जबर दस्ती दूध पिलाकर स्कुल भेजती है यह गलत है कई बच्चे तो उलटी भी कर देते है इसलिए बच्चों को को दूध रात को ही देना चहिये तभी संपूर्ण आहार होगा ।
अब बात आती है बाजार के दूध की पैकिट के दूध की डेयरी के दूध की ।अधिकतर दूध जर्शी गाय की तरह दिखाई देने वाले प्राणी का होता है1 वह सूअर की नस्ल से तैयार है ऐसा विज्ञानं ने सावित भी कर दिया है जर्सी का दूध a1 श्रेणी में आता है जो की अधिकत र देशो में बेचना प्रतिबंध है ।उससे सैकड़ो बीमारियां होती है । इसकी चर्चा आगे करता हु ।
केवल a2 दूध ही पीना चाहिए जो की भारतीय नस्ल की गायो से मिलता है इससे सभी बीमारियों का समूल नष्ट होता है व्यक्ति चुस्त फुर्तीला होता है ।
गाय के दूध में प्रोलीन अपने स्थान 67 पर बहुत दृढ़ता से अपने पड़ोसी स्थान 66 पर स्थित अमीनोएसिड आइसोल्युसीन से जुड़ा रहता है। परन्तु जब (ए1 दूध में) प्रोलीन के स्थान पर हिस्टिडीन आ जाता है, तब इस हिस्तिडीन में अपने पड़ोसी स्थान 66 पर स्थित आइसोल्युसीन से जुड़े रहने की प्रबलता नहीं पाई जाती है।
Hestidine, मानव शरीर की पाचन क्रिया में आसानी से टूटकर बिखर जाता है और बीसीएम 7 नामक प्रोटीन बनता है। यह बीटा कैसो मार्फिन 7 अफीम परिवार का मादक पदार्थ (Narcotic) है जो बहुत प्रभावशाली आक्सीडेण्ट एजेंट के रूप में मनुष्य के स्वास्थ्य पर मादक तत्वों जैसा दूरगामी दुष्प्रभाव छोड़ता है। ऐसे दूध को वैज्ञानिकों ने ए1 दूध का नाम दिया है। यह दूध उन विदेशी गायों में पाया जाता जिनके डी. एन. ए. में 67वें स्थान पर प्रोलीन न होकर हिस्टिडीन होता है (दूध की एमीनो ऐसीड चेन में)।
न्युजीलैंड में जब दूध को बीसीएम 7 के कारण बड़े स्तर पर जानलेवा रोगों का कारण पाया गया तब न्यूजीलैंड के सारे डेयरी उद्योग के दूध का परीक्षण हुआ। डेयरी दूध पर किये जाने वाले प्रथम अनुसंधान में जो दूध मिला वह बीसीएम 7 से दूषित पाया गया, और वह सारा दूध ए1 कहलाया। तदुपरान्त विष रहित दूध की खोज आरम्भ हुई। बीसीएम 7 रहित दूध को ए2 नाम दिया गया। सुखद बात यह है कि देशी गाय का दूध ए2 प्रकार का पाया जाता है। देशी गाय के दूध से यह स्वास्थ्य नाशक मादक विषतत्व बीसीएम 7 नहीं बनता। आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से अमेरिका में यह भी पाया गया कि ठीक से पोषित देशी गाय के दूध और दूध से बने पदार्थ मानव शरीर में कोई भी रोग उत्पन्न नहीं होने देते।
यदि भारतवर्ष का डेयरी उद्योग हमारी देशी गाय के ए2 दूध की उत्पादकता का महत्व समझ लें तो भारत तो भारत सारे विश्व डेयरी दूध व्यापार में विश्व का सबसे बड़ा पंचगव्य उत्पाद निर्यातक देश बन सकता है। यदि हमारी देशी गोपालन की नीतियों को समाज और शासन को प्रोत्साहन मिलता है तो सम्पूर्ण विश्व के लिए ए2 दूध आधारित पोषाहार का निर्यात भारतवर्ष से किया जा सकता है।
आज सम्पूर्ण विश्व में यह चेतना आ गई है कि बाल्यावस्था में बच्चो को केवक ए2 दूध ही देना चाहिए। विश्व बाजार में न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान और अब अमेरिका में प्रमाणित ए2 दूध के दाम साधारण ए1 डेयरी दूध के दाम से कहीं अधिक हैं। ए2 दूध देने वाली गाय विश्व में सबसे अधिक भारतवर्ष में पाई जाती है।
होल्सटीन, फ्रीजियन प्रजाति की गाय, अधिक दूध देने के कारण सारे डेयरी दूध उद्योग की पसन्दीदा है। इन्हीं के दूध के कारण लगभग सारे विश्व में डेयरी का दूध ए1 पाया गया। विश्व के सारे डेयरी उद्योग और राजनेताओं की यही समस्या है कि अपने सारे ए1 दूध को एकदम कैसे अच्छे ए2 दूध में परिवर्तित करें। अतः आज विश्व का सारा डेयरी उद्योग भविष्य में केवल ए2 दूध के उत्पादन के लिए अपनी गायों की प्रजाति में नस्ल सुधार के लिए नये कार्यक्रम चला रहा है। विश्व बाजार में भारतीय नस्ल के गीर वृषभों की इसीलिए बहुत मां ग हो गई हो। साहीवाल नस्ल के अच्छे वृषभों की भी बहुत मांग बढ़ी है।
सबसे पहले यह अनुसंधान न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने किया था। परन्तु वहां के डेयरी उद्योग और सरकारी तंत्र की मिलीभगत से यह वैज्ञानिक अनुसंधान छुपाने के प्रयत्नों से उद्विग्र होने पर, 2007 में Devil in the milk illness, health and politics A1 and A2, नाम की पुस्तक कीथ वुड्फोर्ड (Keith Woodford) द्वारा न्यूजीलैंड में प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में 30 वर्षों के अध्ययन के परिणाम दिए गए हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और रोगों के अनुसंधान के आंकड़ो से यह सिद्ध किया गया है कि बीसीएम 7 युक्त ए1 दूध मानव समाज के लिए विषतुल्य है, अनेक असाध्य रोगों का कारण है।
ए1 दूध का मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
जन्म के समय बालक के शरीर में बीबीबी (ब्लड़ ब्रेन बैरियर) नहीं होता। स्तन पान कराने के बाद 3-4 वर्ष की आयु तक शरीर में यह ब्लड़ब्रेन बैरियर स्थापित हो जाता है। इसीलिए जन्मोपरान्त स्तन पान द्वारा शिशु को मिले पोषण का, बचपन में ही नहीं, बड़े हो जाने पर भी मस्तिष्क व शरीर की रोग निरोधक क्षमता, स्वास्थ्य और व्यक्तित्व के निर्माण पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
नन्हे मुन्हे बच्चों के रोग
भारतवर्ष ही नहीं सारे विश्व में, जन्मोपरान्त बच्चों में जो औटिज्म़ (बोध अक्षमता) और मधमेह (Diabetes Type 1) जैसे रोग बढ़ रहे हैं, उनका स्पष्ट कारण बीसीएम 7 वाला ए1 दूध है।
हमारे समाज के बढ़ते रोग समाज के रोग
मानव शरीर के सभी सुरक्षा तंत्र विघटन से उत्पन्न (Metabolic Degenerative) रोग जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग तथा मधुमेह का प्रत्यक्ष सम्बन्ध बीसीएम 7 वाले ए1 दूध से स्थापित हो चुका है। यही नहीं बुढ़ापे के मानसिक रोग भी बचपन में ग्रहण ए1 दूध के प्रभाव के रूप में भी देखे जा रहे हैं। दुनिया भर में डेयरी उद्योग आज चुपचाप अपने पशुओं की प्रजनन नीतियों में अच्छा दूध अर्थात् बीसीएम 7 मुक्त ए2 दूध के उत्पादन के आधार पर बदलाव ला रहा है
कुनिति, हमारी भूल
यूरोपीय देश अपने विषाक्त गौवंश से छुटकारा पाने के लिए उन्हें मंहगे मूल्यों पर भारत में भेज रहे हैं। ये हाल्स्टीन, जर्सी, एच एफ उन्हीं की देन है।
देश में दूध की जरूरत पूरी करने के नाम पर, दूध बढ़ाने के लिए अपनी सन्तानों और देशवासियों को विषैला, रोगकारक दूध पिलाना उचित कैसे हो सकता है? आखिरकार इन नीति निर्धारक नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के परिवार, बच्चे और वे स्वयं भी तो इन रोगों का शिकार बन रहे होंगे। सच तो यह है कि वे सब इन खतरों से अनजान है। जो चन्द वैज्ञानिक व नागरिक इसके बारे में जानते हैं, उनकी आवाज़ इतनी ऊँची नहीं कि सच सब तक पहुंचे। विदेशी व्यापारी ताकतें और बिका मीडिया इन तथ्यों को दबाने, छुपाने के सब सम्भव व उपाय व्यापारी ताकतों के हित में करता रहता है।
हमारा कर्तव्य, एक आह्वान
ज़रा विहंगम दृष्टि से देश व विश्व के परिदृश्य को निहारें। तेजी से सब कुछ बदल रहा है, सात्विक शक्तियां बलवान होती जा रही हैं। हम सब भी सामथ्यानुसार, सम्भव सहयोग करना शुरू करें, सफलता मिलती नजर आएगी। कम से कम अपने आसपास के लोगों को उपरोक्त तथ्यों की जानकारी देना शुरू करें, या इससे अधिक जो भी उचित लगे करें। सकारात्मक सोच, साधना, उत्साह बना रहे, देखें फिर क्या नहीं होता।
अगर अच्छा लगे तो अपने परिवार का दूध बदलिये नही तो अपने माँता पिता जी से चर्चा जरूर कीजिये ।नही कर सकते तो सन्देश किसी और ग्रुप में भेजिए ।

गौ – महिमा – (गौदुग्ध/cow milk)

़़़़़़़़़़़़़़गौदूग्ध ़़़़़़़़़़़ 

१. प्रवरं जीवनीयानां क्षीरमुक्त्तं रसायनम् ।। 

अर्थात -सुश्रुत ने भी गौदूग्ध को जीवनीय कहा है । गौदूग्ध जीवन के लिए उपयोगी ।ज्वरव्याधि- नाशक रसायन ,रोग और वृद्धावस्था को नष्ट करने वाला ,क्षतक्षीणरोगीयों के लिए लाभकारी,बुद्धिवर्धक ,बलवर्धक ,दुग्धवर्धक,तथा किचिंत दस्तावरहै ।और क्लम (थकावट) चक्कर आना मद, अलक्ष्मी को दूर करता है ।और दूग्ध आयु स्थिर रखता है,और उम्र को बढ़ाता है । 

२. गाय के दूध का सेवन करते रहने पर कोलेस्ट्राल की वृद्धि नहीं होती ,क्योंकि उसमें विद्धमान” ओरोटिक अम्ल उसे कम कर नियन्त्रित रखता है ।गाय के दूध में कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत लैक्टोज है ,जो विषेशत: नवजात शिशुओ को ऊर्जा। प्रदान करता है ,मानव एंव गाय के दूध में इसकी मात्रा क्रमश:७ तथा ४.८प्रतिशत होती है । 

३. गौदूग्ध अमृततुल्य है ।इसमें ८७.१ प्रतिशत जल तथा १२.९ प्रतिशत घनपदार्थ है ।ए,डी,ई,बी,और सी जीवन सत्त्व है ।इसके अलावा प्रोटिओज, लैक्ओम्युसिन, और मद्धद्रावक प्रोटीन भी अंशत: पाये जाते है । 

४. दूध में प्रोटीन रहित नाईट्रोजन वाले पदार्थ (लैक्टोक्रोम क्रिएटीन, युरिया ,थियोसवनिक एसिड, ओरोटिक एसिड ,हाइपोक्सेन्थीन, जैन्थीन, और यूरिक एसिड ,कोलिनट्राइमेथिलेमिन,ट्राइमेथिलेमिन आक्साइड ,मेथिल ग्वेनिडिन और अमोनियाक्षार)पाये जाते है ।और फास्फोरस वाले पदार्थ (फ्री फास्फेट ,फास्फेट केसीन के साथ मिला हुआ लेसिथिन और सिफेलिन ,डाइमिनो मोनोफास्फोटाइड तथा तीन अम्ल द्रावक सेन्द्रिय फास्फोरस यौगिक ) पाये जाते है । 

५. दूध तत्वों की खास विशेषता यह है ,की वे हमारे भोजन के अन्य पदार्थ -आटा, चावल, आलू, फल-फूल ,शाक, आदि के दोष को नष्ट करने में ,इन पदार्थों को उच्चतर रूप में पलटने में ,इन्हें सुपाच्य बनाने में सहायता करता है । 

६. दूध में कम से कम ५० पदार्थ सवा सौ– डेढ सौ रूपों में रहते है ।इतना सर्वगुणसम्पन्न और सब प्रकार से परिपूर्ण पौष्टिक और साथ ही बुद्धि में सात्विकता उत्पन्न करने वाला बहुत सस्ता आहार है ।

७. गौ का धारोष्णदूध बलकारक ,लघु ,शीत ,अमृत के समान ,अग्निप्रदीपक ,त्रिदोषशामक होता है । प्रात:काल पिया हुआ दूध वृष्य ,बृहण ,तथा अग्निदीपक होता है ,दोपहर में पिया हुआ दूध बलवर्धक ,कफनाशक ,पित्तनाशक होता है और रात्रि में पिया हुआ दूध बालक के शरीर को बढ़ाता है ।इसलिए दूध प्रतिदिन पीना चाहिए । 

८. शरीर के ९५ प्रतिशत रोग अमाशय के विकार ,रोग-कीटाणु ,वायु और अणुसृष्टि से उत्पन्न होते है ,इन सब विपत्तियों को टालने की शक्ति दूध-दही की अणुसृष्टि में है । दूध -दही में उत्तमप्रकार के पोषण पदार्थ (अणु )अधिक मात्रा में है । ३५ बूंद दूध ( १क्यूबिकसेंटीमीटर ) में ५ सें १० लाख और छाछ में ५ से १० करोड़ पोषक अणु रहते है ।इनका उपयोग रोगाणुओ को मार भगाना है । 

९. सभी दूध दही में एक ही प्रकार के उत्तम अणु नहीं होते ।इसलिए जो भी दूध- दही मिले उसे पीना ठीक नहीं है ।दूध -दही ,उनके बर्तनों की वातावरण आदि की सफाई का विषेश ध्यान रखना आवश्यक है ।दूध- दही छाछ में जो अणूदि्भजनक मूल्य होते वह विशेष रूप से लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया ,तथा बेसलिस बल्गेरिक्स जाति के है ।उनमें जीवन रक्षक तत्व होता है दूसरे प्रकार के अणुजीवों कें प्रवेश से दही खट्टा हो जाता है ,गंध ,रंग ,स्वाद में विकार उत्पन्न हो जाता है । 

१०. बिना तपाया हूआ दूध घंटों तक पड़ा रहे तो उसमें हवा धूल प्रकाश आदि के कारण हानिकारक परिवर्तन होता है । ताज़ा या धारोष्णदूध में अणुद्भिजों की बहुलता रहती है अत: वह दही जमाने के लिए अच्छा होता है ।दूध को मंदआँच पर उबाल लो ।फिर ठंडा करके उसमें पिछले दिन का साफ़ दही जामन के रूप में १ प्रतिशत ( जाड़े के दिन में २ प्रतिशत ) डालकर उसे अच्छी तरह हिलाकर छोडदे ।कँाच के बर्तन में दही अच्छा नहीं जमता ।मिट्टी के बर्तन आर्दश होते है जो दही एकसमान हो ,पानी न छूटा हो ,फुदकी न पड़ी हो ,स्वाद में खट्टामीठा हो वह दही लाभ करता है ।दही में ज्यादा जल डालने पर छाछ का पोषणमुल्य घटेगा । हवा ,प्काश ,धूप और धूऐं से उसके अनिवार्य सुक्ष्म तत्व घटेगे ।

11.उपनिषद्, महाभारत,चरकसंहिता,अष्टंागहृदय,भावप्रकाश,निघंटु,आर्यभिषेक,आिद ग्रंथों  में तथा विज्ञान और साहित्य में गाय के दूध की महिमा गाई गई है ।
1२.गाय तो भगवान की भगवान है, भूलोक पर गाय सर्वश्रेष्ठ प्राणी है ।
1३.दूध जैसा पौष्टिक और अत्यन्त गुण वाला ऐसा अन्य कोई पदार्थ नहीं है ।दूध जो मृत्युलोक का अमृत है ।सभी दूधों में अपनी माँ का दूध श्रेष्ठ है,और माँ  का दूध कम पड़ा तो वहाँ से गाय का दूध बच्चों  के लिए अमृत सिद्ध हुआ है ।
1४.गौदु््ग्ध मृत्युलोक का अमृत है मनुष्यों के लिए । शक्तिवर्धक,रोगप्रतिरोधक,रोगनाशक तथा गौदुग्ध जैसा दिव्य पदार्थ त्रिभुवन में भी अजन्मा है ।
1५.गौदुग्ध अत्यन्त स्वादिष्ट स्िनग्ध,कोमल,मधुर,शीतल,रूचीकर,बुद्धिवर्धक,बलवर्धक,स्मृति वर्धक ,जीवनीय,रक्तवर्धक,तत्काल वीर्यवर्धक ,बाजीकरण,्स्थिरता प्रदान करने वाला,ओजप्रदान करने वाला ,देहकान्ति बढ़ाने वाला सर्वरोगनाशक ,अमृत के समान है ।
1६.आधुनिक मतानुसार गौदुग्ध में विटामिन “ए” पाया जाता है जो कि अन्य दूध में नहीं विटामिन “ए” रोग -प्रतिरोधक है जो आँख का तेज बढ़ाता है और बुद्धि को सतर्क रखता है ।
1७.गौदुग्ध शीतल होने से ऋतुओ के कारण शरीर में बढ़ने  वाली गर्मी नियन्त्रण  में रहती है वरन् हगंभीर रोगों के होने की प्रबल संभावना रहती है ।
1८.गौदुग्ध जीर्णज्वर मानसिकरोग,शोथरोग,मुर्छारोग,भ्रमरोग,संग्रहणीरोग,पाण्डूरोग,जलन,तृषारोग,हृदयरोग शूलरोग,उदावर्तगुल्म ,रक्तपित,योनिरोग,और गर्भस्राव में हमेशा उपयोगी है ।
1९.गौदुग्ध वात पित्तनाशक है,दमा,कफ,स्वास,खाँसी प्यास,भूख मिटाने वाला है ।गोलारोग,उन्माद,उदररोगनाशक है ।
2०.गौदुग्ध मू््त्ररोग तथा मदिरा के सेवन से होने वाले मदात्यरोग के लिए लाभकारी है ।गौदुग्ध जीवनोउपयोगी पदार्थ अतन्त श्रेष्ठ रसायन है तथा रसों  का आश्रय स्थान है जो कि बहुत पौष्टिक है ।
१.गौदुग्ध के प्रतिदिन सेवन करने वाले व्यकि्त को बुढापा नहीं सताता है वृद्धावस्था में होने वाली तकलीफो से मुक्ति मिल जाती है। 

२.शारीरिक ,बौद्धिक श्रम की थकावट तारे, दूध के सेवन से राहत दिलाती है। 

३.भोजन के पूर्व में छाती में दर्द या डाह होता है तो भोजन पश्चात गौदुग्ध केसेवन से दर्द/डाह शान्त हो जाता है। 

४.वे व्यकि्त जो अत्यन्त तीखा,खट्टा,कड़वा,खारा,दाहजनक गर्मी करने वाला अौर विपरीत गुणोंवाले पदार्थ खाते है उनको सा़ंयकाल भोजनोपरांत गौदुग्ध का सेवन करना चाहिए,जिससे हानिकारक भोजन से होने वाली विकृतियाे का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है 

५.गौदुग्ध से तुरन्त वीर्यशिक्त उत्पन्न होती है,जबकि आवाज स्े वीर्यवर्धक पैदा होने में अनुमानत: एक माह का समय लगता है।माँस,अण्डे एंड अन्य दासी पदार्थों केसेवन से वीर्यवर्धक का नाश होता है जबकि गौदुग्ध से वृद्धि होती है ,लम्बी बीमारी से त्रस्त व्यकि्त को नवजीवन मिलता है। 

६.गौदुग्ध शरीर में उत्पन्न होनेवाले जहर का नाश करता है।एलौपैथि दवाईया ,फर्टीलाईजर,रासायनिक खाद,कीटनाशक दवाईयाें आदि से वायु जल एंव अन्न के द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले जहर को समाप्त करने की क्षमता केवल गौदुग्ध में ही है। 

७.आयुर्वेद में गाय के ताजे निकाले दूध को अति उत्तम कहा गया है। 

८.गाय के ताजे दूध को ब्रहममुर्हत में प्रात: ४बजे से ६बजे के बीच में खड़े रहकर प्रतिदिन नाक के द्वारा पीने से रात्रि अंधकार में भी देखा जा सकता है। 

९.गाय के दूध से बनने वाले व्यंजन जैसे पैसे,बर्फी,छेड़, रसगूल्ला इत्यादि पौष्टिक स्वादिष्ट,बलवर्धक,वीर्यवर्धक एंव शरीर का तेज बढानेवाले होते है 

०.गौदुग्ध से बनने वाले व्यंजन लम्बे समय तक खराब नहीं होते जबकि भैंस एंव अन्य पशुओं के दूध से बनने वाले व्यंजन जल्दी खराब होते है 

१. गौदुग्ध दूग्ध में देवी तत्वों का वास है ।गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व है ।प्रकृति सात्विक बनती है ।व्यक्ति के प्राकृतिक विकार एंव विकृति दूर होती है ।असामान्य और विलक्षण बुद्धि आती है । 

२.गाय की पाचनशक्ति श्रेष्ठ है ।अगर कोई जहरीला पदार्थ खा लेती है तो उसे आसानी से पचा लेती है फिर भी उसके दूध में जहर का कोई असर नहीं होता है ।डाॅ पीपल्स ने गोदुग्ध पर किये गये परीक्षणो में यह भी पाया कि यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो भी उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता ।उसके शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभूत शक्ति है 

३.गौदूग्ध से बनी व अन्य व्यन्जन बच्चो को खिलाने से उनमे तन्दुरूस्ती व चूस्तीफूर्ती बनी रहेगी,और मोटापा भी नहीं सतायेगा औरनिरोगी रहकर हंसीखुसी से अपना जीवन यापन करेगे । 

४.गौदुग्ध बड़ों व बच्चों में स्फूर्तिदायक,तृप्ति ,दिप्ति,प्रीति,सात्विकता ,सौम्यता,मधुरता,प्रज्ञा व और आयुष्मान बढ़ाने वाला है ।वह पूर्णरूपेण सर्वमान्य,सर्वप्रिय,अमृत तुल्य दूग्धाहार है । 

५.गाय का ताज़ा दूध तृषा,दाह,थकान मिटाने वाला और निर्बलता में विषेश उपयोगी है ।गौदुग्ध बुखार ,सर्दी,चर्मरोग ,प्रमाद(आलस्य) निंद्रा,वात,पित्तनाशक है । 

६.भारतीय संस्कृति ग्राम संस्कृति है,गौसंस्कृति है ।गौपालन,गौसंवर्धन,गौरक्षण,गौपूजन और गोदानभारतीयता की पहचान है ।कृषि की खोज में गाय के गोमय(गोबर)’गौमूत्र ने किसान को जीवनदान दिया है । 

७.गाय और गौदुग्ध ने अहिंसा के विकास में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान दिया है ।गौदुग्ध में सात्विक तत्वों व पंचक तत्वों की प्रचुरता है । 

८.काली गाय का दूध त्रिदोषशामक और सर्वोत्तम है ।शाम को जंगल से चर कर आई गाय का दूध सुबह के दूध से हल्का होता है । 

९.सद्बुद्धि प्रदान करने वाला गौदुग्ध तुरन्त शक्ति देने वाले द्रव्यों में भी सर्वश्रेष्ठ माना गया है ।गौदुग्ध में पी.एच.अम्ल और चिकनाहट कम है ,जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है । 

4०.गौदुग्ध में २१ एमिनो एसिड है जिसमें से ८स्वास्थय की दृष्टि बहुत उपयोगी है विद्यमान सरि-ब्रोसाडस दिमाग़ एंव बुद्धि के विकास में सहायक है ।केवल गौदुग्ध में स्ट्रानटाइन तत्व है जो आण्विक विकारों के प्रतिरोधक है । 

ए2 गौ दूग्ध – a2 Desi cow's milk

ए2 गौ दूग्ध – a2 Desi cow’s milk

गाय के दूध में स्वर्ण तत्व होता है जो शरीर के लिए काफी शक्तिदायक और आसानी से पचने वाला होता है। गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होती है जो ऊपर की ओर उठी और शिवलिंग के आकार जैसी होती है। गाय की इसी कूबड़ के कारण उसका दूध फायदेमंद होता है। वास्तव में इस कूबड़ में एक सूर्यकेतु नाड़ी होती है। यह सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती है, जिससे गाय के शरीर में स्वर्ण उत्पन्न होता रहता है। जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में मिलता है।इसलिए गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए होता है। यह स्वर्ण शरीर को मजबूत करता है, आंतों की रक्षा करता है और दिमाग भी तेज करता है। इसलिए गाय का दूध सबसे ज्यादा अच्छा माना गया है।

भारत वर्ष में यह विषय डेरी उद्योग के गले आसानी से नही उतर रहा, हमारा समस्त डेरी उद्योग तो हर प्रकार के दूध को एक जैसा ही समझता आया है. उन के लिए देसी गाय के ए2 दूध और विदेशी ए1 दूध देने वाली गाय के दूध में कोई अंतर नही होता था. गाय और भैंस के दूध में भी कोई अंतर नहीं माना जाता. सारा ध्यान अधिक मात्रा में दूध और वसा देने वाले पशु पर ही होता है. किस दूध मे क्या स्वास्थ्य नाशक तत्व हैं, इस विषय पर डेरी उद्योग कभी सचेत नहीं रहा है. सरकार की स्वास्थ्य सम्बंदि नीतियां भी इस विषय पर केंद्रित नहीं हैं.

भारत में किए गए NBAGR (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा एक प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार यह अनुमान है कि भारत वर्ष में ए1 दूध देने वाली गौओं की सन्ख्या 15% से अधिक नहीं है. भरत्वर्ष में देसी गायों के संसर्ग की संकर नस्ल ज्यादातर डेयरी क्षेत्र के साथ ही हैं .

आज सम्पूर्ण विश्व में यह चेतना आ गई है कि बाल्यावस्था मे बच्चों को केवल ए2 दूध ही देना चाहिये. विश्व बाज़ार में न्युज़ीलेंड, ओस्ट्रेलिया, कोरिआ, जापान और अब अमेरिका मे प्रमाणित ए2 दूध के दाम साधारण ए1 डेरी दूध के दाम से कही अधिक हैं .ए2 से देने वाली गाय विश्व में सब से अधिक भारतवर्ष में पाई जाती हैं. यदि हमारी देसी गोपालन की नीतियों को समाज और शासन का प्रोत्साहन मिलता है तो सम्पूर्ण विश्व के लिए ए2 दूध आधारित बालाहार का निर्यात भारतवर्ष से किया जा सकता है. यह एक बडे आर्थिक महत्व का विषय है.

छोटे ग़रीब किसनों की कम दूध देने वाली देसी गाय के दूध का विश्व में जो आर्थिक महत्व हो सकता है उस की ओर हम ने कई बार भारत सरकार का ध्यान दिलाने के प्रयास किये हैं. परन्तु दुख इस बात का है कि गाय की कोई भी बात कहो तो उस मे सम्प्रदायिकता दिखाई देती है, चाहे कितना भी देश के लिए आर्थिक और समाजिक स्वास्थ्य के महत्व का विषय हो.


ए2 गौ दूग्ध – a2 Desi cow’s milk

ए2 गौ दूग्ध – a2 Desi cow’s milk

गाय के दूध में स्वर्ण तत्व होता है जो शरीर के लिए काफी शक्तिदायक और आसानी से पचने वाला होता है। गाय की गर्दन के पास एक कूबड़ होती है जो ऊपर की ओर उठी और शिवलिंग के आकार जैसी होती है। गाय की इसी कूबड़ के कारण उसका दूध फायदेमंद होता है। वास्तव में इस कूबड़ में एक सूर्यकेतु नाड़ी होती है। यह सूर्य की किरणों से निकलने वाली ऊर्जा को सोखती रहती है, जिससे गाय के शरीर में स्वर्ण उत्पन्न होता रहता है। जो सीधे गाय के दूध और मूत्र में मिलता है।इसलिए गाय का दूध भी हल्का पीला रंग लिए होता है। यह स्वर्ण शरीर को मजबूत करता है, आंतों की रक्षा करता है और दिमाग भी तेज करता है। इसलिए गाय का दूध सबसे ज्यादा अच्छा माना गया है।

भारत वर्ष में यह विषय डेरी उद्योग के गले आसानी से नही उतर रहा, हमारा समस्त डेरी उद्योग तो हर प्रकार के दूध को एक जैसा ही समझता आया है. उन के लिए देसी गाय के ए2 दूध और विदेशी ए1 दूध देने वाली गाय के दूध में कोई अंतर नही होता था. गाय और भैंस के दूध में भी कोई अंतर नहीं माना जाता. सारा ध्यान अधिक मात्रा में दूध और वसा देने वाले पशु पर ही होता है. किस दूध मे क्या स्वास्थ्य नाशक तत्व हैं, इस विषय पर डेरी उद्योग कभी सचेत नहीं रहा है. सरकार की स्वास्थ्य सम्बंदि नीतियां भी इस विषय पर केंद्रित नहीं हैं.

भारत में किए गए NBAGR (राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो) द्वारा एक प्रारंभिक अध्ययन के अनुसार यह अनुमान है कि भारत वर्ष में ए1 दूध देने वाली गौओं की सन्ख्या 15% से अधिक नहीं है. भरत्वर्ष में देसी गायों के संसर्ग की संकर नस्ल ज्यादातर डेयरी क्षेत्र के साथ ही हैं .

आज सम्पूर्ण विश्व में यह चेतना आ गई है कि बाल्यावस्था मे बच्चों को केवल ए2 दूध ही देना चाहिये. विश्व बाज़ार में न्युज़ीलेंड, ओस्ट्रेलिया, कोरिआ, जापान और अब अमेरिका मे प्रमाणित ए2 दूध के दाम साधारण ए1 डेरी दूध के दाम से कही अधिक हैं .ए2 से देने वाली गाय विश्व में सब से अधिक भारतवर्ष में पाई जाती हैं. यदि हमारी देसी गोपालन की नीतियों को समाज और शासन का प्रोत्साहन मिलता है तो सम्पूर्ण विश्व के लिए ए2 दूध आधारित बालाहार का निर्यात भारतवर्ष से किया जा सकता है. यह एक बडे आर्थिक महत्व का विषय है.

छोटे ग़रीब किसनों की कम दूध देने वाली देसी गाय के दूध का विश्व में जो आर्थिक महत्व हो सकता है उस की ओर हम ने कई बार भारत सरकार का ध्यान दिलाने के प्रयास किये हैं. परन्तु दुख इस बात का है कि गाय की कोई भी बात कहो तो उस मे सम्प्रदायिकता दिखाई देती है, चाहे कितना भी देश के लिए आर्थिक और समाजिक स्वास्थ्य के महत्व का विषय हो.
 
 

Flexibility of Desi Milk

Flexibility of Desi Milk

Desi cow milk can be used to make high quality desi products; desi ghee, dahi, shreekhand, chaach, chhena, malai and khoa. Sweets made of organic desi milk products have nutritional value.
Some of the Benefits of Desi Cow Milk and its different products are:
  • As per Ayurvedic treatment, Cow Ghee helps in the growth and development of Children’s brain
  • Regular consumption increases good (HDL) cholesterol (and not bad LDL cholestrol)
  • Stimulates digestion and aids absorption of fat soluble vitamins
  • An excellent all round anti-ageing vegetarian food & external applicant on the skin
The components in Desi Cow milk are so flexible and rich in Vitamins that simply drinking milk can easily compensate nutritional component of a missed balance diet.
  • It has amino acids which make its protein easily digestible
  • It is good for kidney
  • It is a rich source of Vitamins like A, B2 and B3  which help increasing immunity
  • Desi Cow Milk helps in reducing acidity
  • Reduces chances of peptic ulcer
  • Helps in reducing chances of colon, breast and skin cancer
  • Desi Cow milk prevents the formation of serum cholesterol
Desi_Milk_Products

Scalability of Cattle Farming and Profits

A living Cow makes you millionaire while a dead Cow in the form of meat help in weakening the economy and rise in the number of patients. Beef eating give rise to several diseases, ailments – cardiovascular diseases, alzheimer’s disease, indigestion, acidity, liver failure, colon cancer, heart strokes, and highly possible epidemic like mad cow.
To consider cattle business as profitable source of income, we have to factor in other benefits associated with desi cattle; dung, urine and labor.
Common pathogens of beef: salmonella, serovars, shigella, staphylococcus, aureus, listeria and monocytogenes. Every year in the United States, 6.5 million to 33 million cases of illness are diagnosed due to microbial pathogens which occur due to just raw meat (imagine the deteriorating impact when the same meat is intake in the form of food), with about 900,000 deaths occurring annually as well. According to a multi-state study published in the America Journal of Preventative Medicine, the annual cost of disease caused by meat food borne pathogens is estimated to be anywhere from 9.3 to 12.9 billion dollars in medical costs and productivity losses. Most of these diseases come from contact with contaminated raw meat (which include beef), although other “vehicles of transmission” are becoming more and more frequent due to global travel. However, the main source of disease caused by microbial pathogens is usually raw meat (beef, etc). The type of pathogen present varies depending on the type of meat eaten.

POI

कहीं आप विदेशी जर्सी गाय का दूध तो नहीं ए\पी रहें ??

कहीं आप विदेशी जर्सी गाय का दूध तो नहीं ए\पी रहें ??

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कृप्या बिना पूरी post पढ़ें ऐसी कोई प्रतिक्रिया ना दें ! कि अरे तुमने गाय मे भी स्वदेशी -विदेशी कर दिया ! अरे गाय तो माँ होती है तुमने माँ को भी अच्छी बुरी कर दिया !! लेकिन मित्रो सच यही है की ये जर्सी गाय नहीं ये पूतना है ! पूतना की कहानी तो आपने सुनी होगी भगवान कृष्ण को दूध पिलाकर मारने आई थी वही है ये जर्सी गाय !!

पूरी post नहीं पढ़ सकते तो यहाँ click करें !
https://www.youtube.com/watch?v=AclsCffns1c

सबसे पहले आप ये जान लीजिये की स्वदेशी गाय और विदेशी जर्सी गाय (सूअर ) की पहचान क्या है ? देशी और विदेशी गाय को पहचाने की जो बड़ी निशानी है वो ये की देशी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है जबकि जर्सी गाय की पीठ समतल होती है ! आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को नहीं पीता ! जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क ,न्यूजीलैंड , आदि देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है ! और आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है ! डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line बहुत प्रचलित है 
! milk is a white poison !

और जैसा की आप जानते है भारत मे 36000 कत्लखानों मे हर साल 2 करोड़ 50 गाय काटी जाती है और जो 72 लाख मीट्रिक टन मांस का उत्पन होता है वो सबसे ज्यादा अमेरिका और उसके बाद यूरोप और फिर अरब देशों मे भेजा जाता है ! आपके मन मे स्वाल आएगा की ये अमेरिका वाले अपने देश की गाय का मांस क्यो नहीं खाते ?

दरअसल बात ये है की यूरोप और अमेरिका की जो गाय है उसको बहुत गंभीर बीमारियाँ है और उनमे एक बीमारी का नाम है Mad cow disease ! इस बीमारी से गाय के सींघ और पैरों मे पस पर जाती और घाव हो जाते हैं सामान्य रूप से जर्सी गायों को ये गंभीर बीमारी रहती है अब इस बीमारी वाली गाय का कोई मांस अगर खाये तो उसको इससे भी ज्यादा गंभीर बीमारियाँ हो सकती है ! इस लिए यूरोप और अमेरिका के लोग आजकल अपने देश की गाय मांस कम खाते हैं भारत की गाय के मांस की उन्होने ज्यादा डिमांड है ! क्योंकि भारत की गायों को ये बीमारी नहीं होती है ! आपको जानकार हैरानी होगी जर्सी गायों को ये बीमारी इस लिए होती है क्योंकि उसको भी मांसाहारी भोजन करवाया जाता है ताकि उनके शरीर मे मांस और ज्यादा बढ़े ! यूरोप और अमेरिका के लोग गाय को मांस के लिए पालते है मांस उनके लिए प्राथमिक है दूध पीने की वहाँ कोई परंपरा नहीं है वो दूध पीना अधिक पसंद भी नहीं करते !!

तो जर्सी गाय को उन्होने पिछले 50 साल मे इतना मोटा बना दिया है की वे भैंस से भी ज्यादा बत्तर हो गई है ! यूरोप की गाय की जो मूल प्रजातियाँ है holstein friesian ,jarsi ये बिलकुल विचित्र किसम की है उनमे गाय का कोई भी गुण नहीं बचा है ! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय मे दिखाई देते हैं !
उदाहरण के लिए जर्सी गाय को अपने बचे से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं ! 

लेकिन जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मर डालने के लिए तैयार हो जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं ! जर्सी गाय कभी भी पैदल नहीं चल पाती ! चलाने की कोशिश करो तो बैठ जाती है ! जबकि भारतीय गाय की ये विशेषता है 
उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी ! 

कभी आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,आदि जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है 
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
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सामान्य रूप से ये जो जर्सी गाय उसके बारे मे यूरोप के लोग ऐसा मानते है की इसको विकसित किया गया है डुकर (सूअर )के जीन से ! भगवान ने गाय सिर्फ भारत को दी है और आपको सुन कर हैरानी होगी ये जितनी भी जर्सी गाय है यूरोप और अमेरिका मे इनका जो वंश बढ़ाया गया है वो सब artificial insemination से बढ़ाया गया और आप सब जानते है artificial insemination मे ये गुंजाइश है की किसी भी जानवर का जीन चाहे घोड़े ,का चाहें सूअर का उसमे डाल सकते है ! तो इसे सूअर से विकसित किया गया है ! और artificial insemination से भी उसको गर्भवती बनाया जाता है ये उनके वहाँ पिछले 50 साल से चल रहा है !!

यूरोप और अमेरिका के भोजन विशेषज्ञ (nutrition expert ) हैं ! उनका कहना है की अगर जर्सी गाय का भोजन करे तो 15 से 20 साल मे कैंसर होने की संभवना ,घुटनो का दर्द तो तुरंत होता है ,sugar,arthritis,ashtma और ऐसे 48 रोग होते है इसलिए उनके देश मे आजकल एक अभियान चल रहा है की अपनी गाय का मांस कम खाओ और भारत की सुरक्षित गाय मांस अधिक खाओ ! इसी लिए यूरोपियन कमीशन ने भारत सरकार के साथ समझोता कर रखा है और हर साल भारत से 72 लाख मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है जिसके लिए 36000 कत्लखाने इस देश मे चल रहें हैं !! 
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तो मित्रो उनके देश के लोग ना तो आजकल अपनी गाय का मांस खा रहे हैं और ना ही दूध पी रहें हैं ! और हमारे देश के नेता इतने हरामखोर है की एक तरह तो अपनी गाय का कत्ल करवा रहें हैं और दूसरी तरफ उनकी सूअर जर्सी गाय को भारत मे लाकर हमे बर्बाद करने मे लगे है ! पंजाब और गुजरात से सबसे ज्यादा जर्सी गाय है ! और एक गंभीर बात आपको सुन कर हैरानी होगी भारत की बहुत सी घी बेचने वाली कंपनियाँ बाहर से जर्सी गाय का दूध import करती है !

दूध को दो श्रेणियों मे बांटा गया है A1 और A2 !
A1 जर्सी का A2 भारतीय देशी गाय का !

तो होता ये है की इन कंपनियो को अधिक से अधिक रोज घी बनाना है अब इतनी गाय को संभलना उनका पालण पोषण करना वो सब तो इनसे होता नहीं ! और ना ही इतनी गाय ये फैक्ट्री मे रख सकते है तो ये लोग क्या करते है डैनमार्क आदि देशो से A1 दूध (जर्सी गाय ) का मँगवाते है powder (सूखा दूध )के रूप मे ! उनसे घी बनाकर हम सबको बेच रहें है ! और हम सबकी मजबूरी ये है की आप इनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकते क्योंकि भारत मे कोई ऐसा कानून नहीं बना जो ये कहता है की जर्सी गाय का दूध A1 नहीं पीना चाहिए ! अगर कानून होगा तो ही आप कुछ करोगे ना ? यहाँ A1 – को जाँचने की लैब तक नहीं ! नेता देश बेचने मे मस्त हैं 
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तो आप सबसे निवेदन है की आप देसी गाय का ही दूध पिये उसी के गोबर से राजीव भाई द्वारा बताए फार्मूले से खाद बनाए और खेती करे ! देशी गाय की पहचान हमने ऊपर बताई थी की उसकी पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! दरअसल ये हम्प ही सूर्य से कुछ अलग प्रकार की तिरंगे लेता है वही उसके दूध ,मूत्र और गोबर को पवित्र बनाती है जिससे उसमे इतने गुण है ! गौ माता सबसे पहले समुन्द्र मंथन से निकली थी जिसे कामधेनु कहते है गौ माता को वरदान है की इसके शरीर से निकली को भी वस्तु बेकार नहीं जाएगी ! दूध ,हम पी लेते है ,मूत्र से ओषधि बनती है ,गोबर से खेती होती है ! और गोबर गैस गाड़ी चलती है , बिजली बनती है ! सूर्य से जो किरणे इसके शरीर मे आती है उसी कारण इसे दूध मे स्वर्ण गुण आता है और इसके दूध का रंग स्वर्ण (सोने जैसा होता है ) ! और गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !

कल से ही देशी गाय का दूध पिये अपने दूध वाले भाई से पूछे वो किस गाय का दूध लाकर आपको दे रहा है (वैसे बहुत से दूध वालों को देशी -जर्सी गाय का अंतर नहीं पता होगा ) आप बता दीजिये दूध देशी गाय का ही पिये ! और घी भी देशी गाय का ही खाएं !! गाय के घी के बारे मे अधिक जानकारी के लिए ये जान लीजिये !

गाय का घी मुख्य रूप से 2 तरह का है एक खाने वाला घी है और दूसरा पंचग्व्या नाक मे डालकर इलाज करने वाला ! ( पंचग्व्या घी की लागत कम होती है क्योंकि 2 -2 बूंद नाक मे या नाभि मे पड़ता है 48 रोग ठीक करता है ( 8 से 10 हजार रूपये लीटर बिकता है ) लेकिन 10 ML ही महीना चल जाता है ! इसको असली विधि जो आयुर्वेद मे लिखी उसी ढंग से बनाने वाले भारत मे ना मात्र लोग है !
एक गुजरात मे भाई है dhruv dave जी वैसे वो सबको नहीं बेचते केवल रोगी को ही देते हैं लेकिन फिर भी कभी एक बार इस्तेमाल करने की इच्छा हो तो आप email से संपर्क कर सकते हैं davedhruvever@gmail.com अगर उत्पादन मे हुआ तो शायद आपको मिल जाएँ !

आयुर्वेद मे खाने वाला गाय के दूध का घी निकालने की जो विधि लिखी है उस विधि से आप घी निकले तो आपको 1200 से 2000 रुपए किलो पड़ेगा ! क्योकि 1 किलो घी के लिए 25 से 30 लीटर दूध लग जाता है ! महंगा होने का कारण ये भी है की देशी गाय की संख्या काम होती जा रही है कत्ल बहुत हो रहा है वैसे तो यही घी सबसे बढ़िया है ! लेकिन एक दूसरे ढंग से भी आजकल निकालने लग गए हैं ! जिससे दूध से सीधा क्रीम निकालकर घी बनाया जाता है ! अब समस्या ये है की लगभग सभी कंपनियाँ या तो भैंस का घी बेचती है या गाय का घी बोलकर जर्सी का बेच रही है ! 

आपको अगर घी खाना ही है तो भारत की सबसे बड़ी गौशाला – विश्व की भी सबसे बढ़ी गौशाला वो है राजस्थान मे उसका नाम है पथमेढ़ा गौ शाला ! उनका घी खा सकते हैं पथमेढ़ा गौशाला मे 3 लाख देशी गाय है ! इनके घी की सबसे बड़ी विशेषता है ये है की ये देशी गाय का घी ही बेचते हैं ! बस अंतर ये है की यह क्रीम वाले ढंग से निकाला बनाया जाता है लेकिन फिर भी भैंस और जर्सी सूअर के घी की तुलना मे बहुत बहुत बढ़िया है ! लेकिन इसका मूल्य साधारण घी से थोड़ा ज्यादा है ये 1 लीटर 600 रूपये मे उपलब्ध है ! भगवान की अगर आप पर आर्थिक रूप से ज्यादा कृपा तो आप देशी गाय ही घी खाएं !! कम खा लीजिये लेकिन जर्सी का कभी मत खाएं !! और दूध भी हमेशा देशी गाय का ही पिये !

और अंत मे एक और बात जान लीजिये अब इन विदेशी लोगो को भारत की गाय की महत्ता का अहसास होने लगा है आपको जानकर हैरानी होगी भारतीय नस्ल की सबसे बढ़िया गाय( गीर गाय ) को जर्मनी वाले अपने देश मे ले जाकर इनका वंश आगे बढ़ाकर 2 लाख डालर (लगभग 1 करोड़ की एक गाय बेच रहें है !
जबकि भारत मे ये गीर गाय सिर्फ 5000 ही रह गई है !! तो मित्रो सबसे पहला कार्य अगर आप देश के लिए करना चाहते हैं तो गौ रक्षा करें गौ रक्षा ही भारत रक्षा है !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
एक बार यहाँ जरूर click करें 

https://www.youtube.com/watch?v=AclsCffns1c

अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !
जय गौ माता जय भारत माता !

निवेदक आपका मित्र 
गोवत्स राधेश्याम रावोरिया